25 मई को मतदाता तय करेंगे कि इस बार Kurukshetra के चुनावी रण में किसके सिर पर ताज सजेगा। इससे पहले इस जंग में उतरे महारथियों ने अपनी-अपनी जीत के लिए पसीना बहाना शुरू कर दिया है. सुबह से देर रात तक चुनावी रण में प्रमुख पार्टियों द्वारा उतारे गए योद्धा अपने-अपने तरकश से तीर निकालकर एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.
सियासी महाभारत पर महारथियों के साथ-साथ संबंधित राजनीतिक दलों की भी नजरें टिकी हुई हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो इस सीट पर पहले Congress का दबदबा रहा है, लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनाव से यह सीट BJP के खाते में है. खास बात यह है कि इस बार Congress ने गठबंधन के तहत यह सीट AAP को दे दी है.
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर BJP हैट्रिक लगाती है या Congress के समर्थन से AAP का परचम लहराता है, या INLD उम्मीदवार एक बार फिर इन दोनों को मात देने में कामयाब होते हैं.
Kurukshetra लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई. अब तक हुए 12 लोकसभा चुनावों में यहां Congress का दबदबा देखने को मिला. इतना ही नहीं कैथल लोकसभा क्षेत्र से होने के बावजूद Congress को लगातार तवज्जो मिली है। 1957 में मूलचंद जैन, 1962 में देवदत्त पुरी और उनके बाद 1967 और 1971 में गुलजारी लाल नंदा इस क्षेत्र से सांसद बने.
ये सभी उम्मीदवार भारतीय राष्ट्रीय Congress द्वारा मैदान में उतारे गए थे। वर्ष 1977 में Kurukshetra लोकसभा का गठन होते ही जनता पार्टी के रघुवीर सिंह विर्क सांसद बने और उनके बाद 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर के मनोहर लाल सैनी सांसद बने।
इसके बाद 1984, 1991, 2004 और 2009 में इस सीट पर Congress ने जीत हासिल की थी, जबकि साल 2014 के चुनाव में 37 साल बाद यहां पहली बार BJP का कमल खिला था. तब राजकुमार सैनी INLD के बलबीर सैनी को हराकर विजेता बने थे, जबकि Congress से लगातार दो बार सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाने वाले नवीन जिंदल इस चुनाव में पिछड़ गए और तीसरे स्थान पर रहे.
2019 के चुनाव में भी BJP ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा. इस बार BJP ने चेहरा बदलते हुए सैनी समुदाय से Nayab Saini को मैदान में उतारा, जिन्होंने Congress के निर्मल सिंह को हराकर जीत हासिल की. नायब सैनी अब राज्य के मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में इस बार बीजेपी ने Congress के पुराने दिग्गज नवीन जिंदल पर दांव लगाया है, जबकि INLD से अभय चौटाला चुनाव लड़ रहे हैं.
पहली बार इस सीट पर Congress मैदान में नहीं है.
यह पहली बार है कि Congress ने इस सीट पर सीधे तौर पर चुनाव नहीं लड़ा है. उनकी ओर से यह सीट भारत गठबंधन में सहयोगी AAP के लिए छोड़ी गई है। यह भी पहली बार है कि इस सीट पर आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार मुख्य उम्मीदवार है. यहां से पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता को चुनावी योद्धा बनाया है.
कैलाशो सैनी ने दो बार लहराया INLD का झंडा: प्रोफेसर कैलाशो सैनी एकमात्र ऐसी नेता थीं, जिन्होंने यहां एक साथ कई कीर्तिमान दर्ज कराए। वह यहां से अब तक एकमात्र महिला सांसद रही हैं। उन्होंने यहां से 1998 और फिर अगले साल 1999 में चुनाव जीता और INLD का झंडा बुलंद किया. फिलहाल कैलाशो BJP के पाले में हैं.
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Author: politicalplay
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