Editor@political play India

Search
Close this search box.

Ram Mandir: नौ अग्निकुंडों में 60 घंटे की पूजा और 5.50 लाख मंत्रों के साथ, प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के सात दिनों का सवारा

Ram Mandir: नौ अग्निकुंडों में 60 घंटे की पूजा और 5.50 लाख मंत्रों के साथ, प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के सात दिनों का सवारा

Ram Mandir: Ram Lalla की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान कई मायनों में अद्भुत रहा। सात दिव्य अनुष्ठानों में रामजन्मभूमि परिसर में 5.50 लाख मंत्रों का जाप किया गया। ये सभी मंत्र रेलवे के पौराणिक ग्रंथ से लिए गए हैं। पुराण, श्रीमद्भागवत एवं वाल्मिकी रामायण के मंत्रों का जाप हुआ है। Kashi सहित पूरे देश में 121 वैदिक कर्मकांडी ब्राह्मणों ने इन मंत्रों का वाचन किया।

सात दिव्य प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की शुरुआत 16 जनवरी को प्रायश्चित पूजन एवं कर्मकुटी पूजन से हुई थी। अनुष्ठान का समापन 22 जनवरी को Ramlala की प्राण प्रतिष्ठा के साथ हुआ। शुभ उत्सव में Ramlala की प्राण प्रतिष्ठा नदियप पेजमे गोपाया अमृतत्वया जीवते, जन्मञ्च निश्यामानांच, अमृते सत्ये प्रतिष्ठितम्… मंत्र के जप से की गई।

इस मंत्र का अर्थ है प्रभु यहां पर प्रतिष्ठित जीव सृष्टि का संचालन करना है। धर्म की रक्षा के लिए आप प्रतिष्ठित हो जाइये। अनुष्ठान में शामिल आचार्य मृत्युंजय ने बताया कि सबसे प्राचीन और प्रथम वेद ऋग्वेद के सबसे बड़े इंद्र देवता हैं। वेदों के एक चौथाई हिस्से में इंद्र देव हैं।

इंद्रदेव के 2500 मंत्र हैं। दूसरे स्थान पर अग्नि हैं, उनके दो हजार मंत्र हैं। आश्रम के रामजन्मभूमि परिसर में दो यज्ञमंडप और नौ आवास कुंड बनाए गए थे। अनुष्ठान के क्रम में पूरे सात दिन तक नौ कुंडों में कुल 60 घंटे तक करीब 550 लाख मंत्रों का वाचन कर आहुतियां दी गईं।

इसमें चारों वेद, 13 उपनिषद, 18 पुराण, वाल्मिकी रामायण, तुलसीदास के रामचरित मानस, श्रीमद्भागवत और ब्राह्मण ग्रंथों के मंत्र, श्लोक, छंद, दोहे, सोरठा और चौपाइयां पढ़ी गईं।

इसके अलावा गणेश भगवान का जाप, भैरव जाप, अंबिका, नवग्रह, वास्तुहोम और इसके बाद भगवान राम के प्रिय मंत्र पुरुष सूक्त का भी वाचन किया गया। इसी पुरु सूक्त के मंत्र से नौ अगिन कुंडों में 21 जनवरी की शाम को स्नान हुआ।

प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पढ़ा गया मंत्र

नदियप प्रजामे गोपाया अमृतत्वया जीवते, जन्मञ्च निश्यामानांच, अमृते सत्ये प्रतिष्ठितम्
अर्थात्- प्रभु यहाँ पर प्रतिष्ठित प्रतिष्ठित सार्वभौम सृष्टि का संचालन करना है। धर्म की रक्षा के लिए आप प्रतिष्ठित हो जाइये।

धर्मग्रंथों में मंत्रों की संख्या

– पुराण- चार लाख सात सौ मंत्र
– श्रीमद्भागवत- एक लाख मंत्र
– ऋग्वेद- 10,552
– यजुर्वेद- 3988
– सामवेद- 1875
– अथर्ववेद- 5987
– वाल्मिकी-24,000
– रामचरित मानस-6002 श्लोक, दोहा, चौपाई, सोरठा, छन्द आदि
– उपनिषद-1441

politicalplay
Author: politicalplay

यह भी पढ़ें

टॉप स्टोरीज