बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अब सियासत गरमा गई है. इन सबके बीच बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा ऐलान किया. बिहार सरकार ने न्यायिक सेवा में आर्थिक तौर पर कमजोर सवर्ण समाज को 10 फीसद आरक्षण देने की घोषणा की है. इसे एक बड़ा राजनीतिक दांव बताया जा रहा है, जनगणना रिपोर्ट(caste census report) पेश किए जाने के बाद आरजेडी ने कहा था कि यह बिहार के लिए ऐतिहासिक दिन है, यही नहीं जेडीयू ने कहा कि एक बड़े मकसद को हासिल करने में हम कामयाब रहे हैं. इस गणना से सरकारी सेवाओं में समाज के हर हिस्से को उचित भागीदारी मिलेगी.
जेडीयू ने क्या कहा
बिहार सरकार के इस ऐलान को सवर्ण समाज को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है. जातीय जनगणना की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में पिछड़ों की आबादी करीब 63 फीस है और सवर्ण समाज की आबादी 15 फीसद है. नीतीश सरकार (nitish kumar government)के फैसले पर जेडीयू ने कहा कि हमारा मत है कि समाज के हर कमजोर तबके को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. इस विषय को सियासी चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. सरकार की कोशिश है कि विकास की मुख्य धारा में समाज का हर उस तबके को अवसर मिले है जो उपेक्षित है.
क्या कहते हैं जानकार
बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट पर जानकार बताते हैं कि इसे मंडल कमीशन पार्ट 2 के तौर पर भी देख सकते हैं. अभी तक न्यायालय ने 50 फीसद से अधिक आरक्षण पर कैप लगाया है यानी कि इससे अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है लेकिन बिहार सरकार की रिपोर्ट के बाद इस मामले में सियासत तेज हो सकती है हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ की एक सभा में कहा कि उनकी सरकार के लिए सबसे बड़ी जाति गरीबी है. उनकी लड़ाई गरीबी के खिलाफ है, कांग्रेस की तो यही रीति और नीति रही है, कभी संप्रदाय के नाम पर बांटो, कभी धर्म के नाम पर बांटो तो कभी जाति के नाम पर बांटो. पीएम यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि समाज को भी यह समझना होगा कि वो कौन से दल हैं जो हमेशा उन्हें हाशिये पर रखना चाहते हैं.