Sanskriti IAS Coaching Center: सबसे पहला प्रश्न है सिविल सेवा की तैयारी के लिए दिल्ली ही क्यों? दूसरा प्रश्न है यदि दिल्ली ही बेहतर है तो यहाँ स्थित संस्कृति आईएएस संस्थान ही क्यों? यूँ तो देश के लगभग सभी कोने में सिविल सेवा की तैयारी कराई जाती है और उसके परिणाम भी देखने को मिल जाते है। लेकिन यदि दिल्ली की बात करें तो इतिहास इस बात का साक्षी है कि हिंदी माध्यम से अधिकांश चयन दिल्ली से ही होते रहे है। उसमे भी खासकर मुखर्जीनगर से। यहाँ हिंदी माध्यम से सिविल सेवा की तैयारी कराने वाले अनेक संस्थान संचालित है।
लेकिन प्रश्न इस बात का है कि कम समय में सिविल सेवा के विस्तृत पाठ्यक्रम को पूरा कर चयन सूची में नाम कैसे दर्ज हो। चयनित अभ्यर्थियों के अनुसार इस तैयारी को मुकाम तक ले जाने की कुछ कसौटियां है। जैसे- अनुभवी अध्यापक समूह, सटीक एवं संक्षिप्त पाठ्यसामग्री, सफलता दर, एक बेहतर कोचिंग संस्थान एवं प्रबंधन जो इन मानकों को पूरा करे इत्यादि। मुखर्जीनगर के कोचिंग संस्थानों को इन कसौटियों पर देखना आरम्भ करें- तो वर्तमान में ये सभी विशेषताएं एक ही कोचिंग संस्थान में देखने को मिलती हैं वह है संस्कृति आईएएस।
इस संस्थान का नाम नया लग सकता है लेकिन जब इसके इतिहास को झांकेंगे तो पाएंगे कि दिल्ली में हिंदी माध्यम का इससे पुराना और सफल संस्थान और कोई नहीं। इस संस्थान का स्लोगन भी इस बात को इंगित करता है- “टीम वही कोचिंग नई” यानी ये वही टीम है जिसने हिंदी में सिविल सेवा परीक्षा को आसान बनाया।
“टीम वही” से तात्पर्य है ऐसे अध्यापकों का समूह जो अपने-अपने विषय के विशेषज्ञ माने जाते है। इनकी विशेषज्ञता का पूरे भारत में कोई विकल्प नहीं। रटने की संस्कृति को समाप्त कर, परीक्षा के अनुरूप विद्यार्थियों को कितना ज्ञान देना है और कैसे दिए गए ज्ञान को आत्मसात करा देना है, बखूबी जानते हैं। अध्यापकों की यही पूँजी इसे अन्य कोचिंग संस्थानों से अलग कर देती है। अध्यापकों की सूची में श्री अखिल मूर्ति (भारतीय इतिहास कला एवं संस्कृति), श्री अमित कुमार सिंह (एथिक्स), श्री ए. के. अरुण (भारतीय अर्थव्यवस्था), श्री सीबीपी श्रीवास्तव (राजव्यवस्था, गवर्नेंस, सामाजिक न्याय), श्री कुमार गौरव (भूगोल एवं पर्यावरण), श्री राजेश मिश्रा (भारतीय राजव्यवस्था एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध) श्री रितेश जायसवाल (विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी) शामिल हैं । यहाँ सभी अध्यापकों का सिविल सेवा क्षेत्र में अध्यापन का लम्बा अनुभव है।
यहाँ के अध्यापकों के कठिन परिश्रम का ही परिणाम है जो आज हिंदी माध्यम के विद्यार्थी के लिए भी सिविल सेवक बनने का सपना देख पाना संभव हुआ। पाठ्य सामग्री पूरी तैयारी के केंद्र में होती है। वर्तमान में तो हिंदी सामग्री की बाढ़ सी आ गई है। ऐसे में समझ पाना क्या परीक्षा उपयोगी है; बहुत चुनौतीपूर्ण है। हर रोज़ के आधार पर परीक्षा की अपेक्षाओं के अनुरूप पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिये संस्कृति आईएएस कोचिंग संस्थान में एक पूरी टीम कार्य करती है। ताकि विद्यार्थियों के कीमती समय को बचाकर भटकाव को कम किया जा सके। यहाँ प्रीलिम्स परीक्षा के साथ लेखन शैली पर विशेष बल दिया जाता हैं। चूँकि अंततः चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार से ही होना है। अतः आरम्भ से पूरी रणनीति बनाकर तैयारी कराई जाती है।
सफलता दर किसी भी कोचिंग संस्था का आईना होती है। इस दर से हमारे सैकड़ों सवालों के जवाब स्वतः मिल जाते हैं। संस्कृति आईएएस का यह दर सुनहरा है। क्योंकि हिंदी माध्यम से सफल अभ्यर्थियों का सम्बन्ध कहीं न कहीं संस्कृति आईएएस के अध्यापन टीम से ही जुड़ा है।
संस्कृति IAS Coaching संस्थान ऐसी अनेक विशेषताओं को समाहित किए हुए है जो उसे लक्ष्य केन्द्रित बनाये हुए है। यदि कोई भी विद्यार्थी सिविल सेवक बनना चाहता है और अपनी समग्र तैयारी के लिये एक बेहतर कोचिंग की तलाश में है- तो यह संस्थान उसके लिये बेहतर विकल्प है। ध्यान रहे एक अच्छा निर्णय ही लक्ष्य तक पहुंचा सकता है।