Krishna Janmashtami 2025: आज पूरे देश में भगवान श्री कृष्ण के जन्म का पर्व जन्माष्टमी बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) सनातन धर्म का एक अत्यंत पावन और उल्लासपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास और भक्ति भाव से मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और अनुशासन का संगम है। ऐसे में हर किसी के मन में इच्छा होती है कि वह अपने इष्ट को किन वस्तुओं का भोग लगाए, जिससे उन पर प्रभु की कृपा बरस सके, तो चलिए जानते हैं, स्वामी प्रेमानंद महाराज (Swami Premananda Maharaj) की ओर से श्रीकृष्ण भक्तों के लिए बताए गए भोग लगने के कुछ नियम, जिन्हें अपनाकर आप भी अपने व्रत को अधिक फलदायी बना सकते हैं।
वृंदावन (Vrindavan) के स्वामी संत प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, जन्माष्टमी (Janmashtami)) के व्रत में कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। यदि इन नियमों का पालन न किया जाए तो व्रत और पूजा दोनों ही खंडित हो सकते हैं, जिससे साधक को पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।

व्रत के दौरान अपनाएं ये नियम
सच्चे मन से पूजा – व्रत रखने वाले ही नहीं, बल्कि जो व्रत नहीं रख रहे हैं, उन्हें भी जन्माष्टमी के दिन पूरे मनोयोग से भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
लड्डू गोपाल का श्रृंगार – फूलों और आभूषणों से लड्डू गोपाल का सुंदर श्रृंगार करें और उन्हें आनंदित करें।
नामजप और कथा श्रवण – दिनभर श्रीकृष्ण के नाम का जाप करें, उनकी लीलाओं की कथा सुनें और घर में कीर्तन करें।
ब्रह्मचर्य का पालन – इस दिन तामसिक भोजन और अशुभ गतिविधियों से दूर रहें तथा ब्रह्मचर्य का पालन करें।
तामसिक आहार से बचें – मांसाहार, लहसुन, प्याज जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

व्रत खोलने का सही समय
मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत मध्यरात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद ही खोलना चाहिए। व्रत तोड़ने से पहले भगवान का विधिवत पूजन करना और प्रसाद ग्रहण करना जरूरी है।

मंदिर दर्शन और विधिपूर्वक पूजा
प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि जन्माष्टमी के दिन किसी कृष्ण मंदिर में जाकर दर्शन करना और सुबह व रात में भगवान का विधि-विधान से पूजन करना अत्यंत शुभ फलदायक होता है।
लड्डू गोपाल को लगाएं ये भोग

मक्खन – गाय के दूध से बने मक्खन का भोग भगवान को अति प्रिय है और इसे लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
मालपुए – चावल से बने मालपुओं का भोग लगाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।
पंजीरी – पंजीरी का भोग भगवान को अर्पित करना शुभ माना जाता है, साथ ही दही से बने श्रीखंड का भोग भी विशेष महत्व रखता है।
Author: Political Play India





