Haryana Roadways के Pass Holder Students को लेकर Transport Department और Private Bus Operators के बीच Punjab and Haryana High Court में चल रही जंग के बीच Transport Minister Anil Vij ने अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए हैं। परिवहन विभाग की ओर से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किए जाने से पहले विज ने विभाग के अधिकारियों के साथ अपने कार्यालय में बैठक की। बैठक में परिवहन मंत्री अनिल विज ने साफ निर्देश दिए कि सरकार की पॉलिसी और लेटर ऑफ इंटेंड (LOI) के अनुसार निजी बस संचालकों को हरियाणा रोडवेज के पास होल्डर स्टूडेंट्स को बिना टिकट के उनके निर्धारित गंतव्य तक लेकर जाना ही होगा। विज ने कहा कि छात्र हित में वह नियमों के मुताबिक हर फैसला लेंगे। विज के कार्यालय में हुई इस बैठक में परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजा शेखर वुंडरू समेत कईं अधिकारी मौजूद थे। फिलहाल सबकी निगाहें मामले को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हुई है, जिसमें परिवहन विभाग की ओर से अपना जवाब दाखिल किया जाएगा।
ऐसे शुरू हुआ था विवाद

हरियाणा सरकार द्वारा छात्राओं को स्कूल और कॉलेज जाने के लिए दी जा रही निशुल्क बस पास योजना को निजी बस संचालकों द्वारा नकारे जाने पर सितंबर माह में कुछ छात्राओं ने हिसार की अदालत में याचिका दायर की थी। छात्राओं ने आरोप लगाया था कि प्राइवेट बस चालक निशुल्क बस पास के बावजूद उनसे किराया वसूलते हैं। इस पर सिविल जज जूनियर डिविजन सुखवीर कौर की अदालत ने इस मामले में तीन निजी बस संचालकों सहित रोडवेज और परिवहन विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कोर्ट की ओर से याचिका दायर करने वाली छात्राओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हरियाणा की प्राइवेट बसों में सरकारी पास को मान्य करने का आदेश दिया था। कोर्ट के इस फैसले को हरियाणा स्टेज कैरिज परिवहन समिति एवं प्राइवेट बस एसोसिएशन की ओर से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। निजी बस एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉ. धन सिंह ने कहा कि रोडवेज द्वारा जारी पास निजी बसों में मान्य नहीं हैं। जब तक परिवहन विभाग अदायगी की स्पष्ट और सुनिश्चित प्रक्रिया नहीं बताता, तब तक निजी बसों में निशुल्क या रियायती पास लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट बसों को सरकार से कोई भुगतान नहीं मिल रहा, जिस कारण वे इस योजना का लाभ नहीं दे पा रहे।
हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया था यह फैसला

हरियाणा में प्राइवेट बस संचालकों और परिवहन विभाग के बीच चल रहे विवाद पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए बड़ा निर्णय दिया। कोर्ट ने परिवहन विभाग के 8 अगस्त को जारी आदेशों पर सवाल उठाते हुए विभाग के प्रधान सचिव, राज्य परिवहन आयुक्त और हिसार, फतेहाबाद व सिरसा के सचिव परिवहन प्राधिकरण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। यह आदेश डॉ. धन सिंह और अन्य निजी बस संचालकों की याचिका पर आया था, जिसमें कहा गया था कि विभाग द्वारा जारी आदेश न केवल असंवैधानिक हैं बल्कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 का भी उल्लंघन करते हैं। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए इन आदेशों पर रोक लगाने की मांग की थी।

कोर्ट ने ‘नोटिस री: स्टे ऐज वेल’ का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया था कि स्टे पर भी विचार किया जाएगा। डॉ. धन सिंह ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जिस विभाग ने पास जारी किया है, वही इसका भुगतान करने और सुविधा देने के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में रोडवेज पास दिखाकर प्राइवेट बसों में सफर करना नियमों के विपरीत है।
विज ने पहले दिए थे यह आदेश
हरियाणा में परिवहन विभाग के पास पर निजी बस संचालकों के साथ अनेक स्थानों पर छात्रों की बहस के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे ही एक मामले में बीते दिनों कैथल में परिवहन मंत्री अनिल विज ने रोडवेज पास धारक छात्रों के पक्ष में कदम उठाते हुए निजी बसों में भी उनके पास को वैध करने का आदेश दिया था।
परिवहन विभाग ने भी जारी किए थे आदेश

स्टूडेंट्स के बस पास को लेकर परिवहन विभाग की ओर से भी निर्देश जारी किए गए थे। इन निर्देशों में कहा गया था कि विद्यार्थियों का बस पास रोडवेज के साथ-साथ सहकारी परिवहन समितियों की बसों में भी मान्य है। साथ ही पास होने पर स्टूडेंट्स से किराया लेने पर बस संचालक के खिलाफ कार्रवाई की भी बात कही गई थी। परिवहन विभाग की ओर से कहा गया था कि परमिट देते समय ही सहकारी समितियों को नियमावली के बारे में बताया जाता है, जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि विभिन्न वर्गों को रियायती दरों पर दी जाने वाली सभी सुविधाओं के साथ ही छात्रों का पास भी निजी बस में मान्य होगा।
विज ने साफ किया अपना रुख

निजी बसों में परिवहन विभाग के पास को लेकर चल रहे विवाद में परिवहन मंत्री अनिल विज ने अब अधिकारियों के समक्ष अपना रुख साफ कर दिया है। विज का साफ कहना है कि निजी बस संचालकों को परिवहन विभाग की ओर से जारी किए स्टूडेंट्स के पास को मानना होगा और उन्हें स्टूडेंट्स को उनके गंतव्य तक लेकर जाना ही होगा। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि अगली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की ओर से मामले में क्या रुख अपनाया जाता है? क्यूंकि प्रदेश में रोजना बसों के जरिए अपने कॉलेज और स्कूल पहुंचने वालें लाखों स्टूडेंट्स के आर्थिक स्थिति का आंकलन भी कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा। ऐसे में सबकी निगाहें अब कोर्ट की अगली सुनवाई पर लगी हुई है।
Author: Political Play India





