चंडीगढ़ : हरियाणा के लिए चंडीगढ़ में अपना अलग से नया विधानसभा भवन बनाने का मुद्दा अब करीब-करीब समाप्त होता नजर आ रहा है। हरियाणा की ओर से नए विधानसभा भवन के लिए जमीन के बदले जमीन देने के फॉर्मूले को मानने से चंडीगढ़ प्रशासन ने इंकार कर दिया है। इतना ही नहीं हरियाणा की ओर से भी इस मामले में अब कोई खास रुचि दिखाई देती नजर नहीं आ रही है, क्योंकि पिछले एक लंबे समय से इस मामले को लेकर कोई पत्र व्यवहार नहीं किया गया है।
बता दें कि हरियाणा अपने नए विधानसभा भवन के लिए चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के समीप 10 एकड़ जमीन लेना चाहता था। जमीन खरीदने पर हरियाणा को कलेक्टर रेट पर भुगतान करने के लिए कहा था। अब नए कलेक्ट रेट लागू होने से जमीन के रेट और बढ़ गए हैं। अब पिछले प्रपोजल के अनुसार हरियाणा को चंडीगढ़ में 640 करोड़ रुपये की जमीन नहीं मिलेगी।
12 एकड़ जमीन देने को तैयार था हरियाणा
हरियाणा ने यूटी प्रशासन के समक्ष अदला बदली की नीति रखी थी, जिसके तहत वह रेलवे स्टेशन के पास दस एकड़ जमीन लेने के बदले अपने एरिया के सकेतड़ी की 12 एकड़ जमीन देने के लिए तैयार था। हरियाणा ने 12 एकड़ जमीन का इको सेंसेटिव जोन का विवाद खत्म करने के लिए केंद्र सरकार से पर्यावरण मंत्रालय से मांग करके अधिसूचना जारी करवाई, लेकिन इसका फायदा नहीं मिला।
यूटी प्रशासन के अधिकारियों ने निर्णय लिया है कि अदला बदली की नीति के तहत जमीन नहीं दी जाएगी और दूसरा पंजाब को भी जमीन देने पर आपत्ति है। पंजाब की आम आदमी पार्टी ने भी प्रशासन से अपने पार्टी भवन के लिए जमीन मांगी है। इस प्रस्ताव पर भी प्रशासन ने चुप्पी साधी हुई है।
अदला-बदली की नीति में कई पेच
इको सेंसटिव जोन का विवाद सुलझने के बाद भी पंचकूला से सकेतड़ी एरिया की जो 12 एकड़ जमीन हरियाणा ने यूटी प्रशासन को देने का प्रपोजल दिया उसमें कई तरह की समस्या हैं। इसके साथ ही जो दस एकड़ जमीन विधानसभा के लिए जमीन दी जा रही थी उसके बदले में मिलने वाली जमीन के मुकाबले में उतनी प्रमुख नहीं है। जबकि रेलवे स्टेशन के पास जहां पर नए विधानसभा भवन का निर्माण होना है उसकी प्राइम लोकेशन है और उसकी कीमत भी ज्यादा है।
दूसरा प्रशासन के मास्टर प्लान 2031 में अदला बदली की कोई नीति का प्रविधान नहीं है। आज तक जमीन के लिए कभी भी अदला बदली नीति का इस्तेमाल नहीं किया है। सकेतड़ी की 12 एकड़ जमीन से ड्रेन गुजरती है। प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार दोनों स्थलों की पहुंच और शहरी योजना के दृष्टिकोण से मापदंड बराबर नहीं हैं।
योजना विभाग ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा दी गई भूमि से एक प्राकृतिक ड्रेन गुजरती है, जो भूमि को दो हिस्सों में विभाजित करती है। इस प्राकृतिक ड्रेन के पास निर्माण करना संभव नहीं है क्योंकि यह काफी चौड़ा है।
इसके अलावा विभाग के अनुसार चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा भवन के लिए चिह्नित भूमि 100 फीट चौड़ी सड़क पर स्थित है, जो माध्यमार्ग से जुड़ी है और शहर के प्रमुख स्थान पर है। इसके विपरीत, हरियाणा में चंडीगढ़ के लिए चिह्नित भूमि तक पहुंचने के लिए सिर्फ 20 फीट चौड़ी सड़क का उपयोग किया जाता है, जो किशनगढ़ और भगवानपुर गांव से होकर गुजरती है।
हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल इसे लेकर काफी गंभीर थे। उन्हीं के प्रयासों से यह मामला आगे बढ़ पाया था, लेकिन फिलहाल के हालात देखते हुए नहीं लग रहा कि हरियाणा जल्द अपने नए विधानसभा भवन के लिए चंडीगढ़ से जमीन हस्तांतरित करवा पाएगा। फिलहाल देखना होगा कि चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से इस मामले में इंकार किए जाने के बाद अब हरियाणा की ओर से इस मामले में क्या रुख अपनाया जाता है ?
Author: Political Play India





