कुरुक्षेत्र : साइबर अपराध के खिलाफ कुरुक्षेत्र पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कॉल सेंटर की आड़ में चल रही साइबर ठगी का पर्दाफाश किया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रतीक गहलोत के नेतृत्व में थाना साइबर कुरुक्षेत्र की टीम ने लाडवा में चल रहे एक अवैध कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी बरामद किए गए हैं।
गिरफ्तार आरोपियों में देश के विभिन्न राज्यों से जुड़ी पहचान
पुलिस अधीक्षक नीतीश अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों में मोहित सेतिया, विनोद कुमार (करनाल), परमजीत सिंह, विजय छत्री, रोहित मल्होत्रा (दिल्ली), नितिन राणा, आकाश (यमुनानगर), अमित पोल (मणिपुर), जितेन्द्र कुमार (बुलंदशहर), नूर हुसैन (असम) और आकाश (केरल) शामिल हैं। इनके कब्जे से 47 एलसीडी मॉनिटर, 45 सीपीयू, 42 कीबोर्ड और 18 हेडफोन बरामद हुए हैं।
कॉल सेंटर के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर ठगी
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने लाडवा में कॉल सेंटर के नाम से ऑफिस खोल रखा था, लेकिन इसका असली काम देश-विदेश में बैठे लोगों को फोन कर ठगी करना था। ये आरोपी खासकर अमेरिका और इंग्लैंड में बैठे लोगों को टारगेट करते थे। करीब डेढ़ साल से चल रहे इस कॉल सेंटर में काम करने वाले सभी आरोपी लगभग 12वीं पास हैं, जिन्हें अंग्रेजी बोलने और ठगी करने की स्क्रिप्ट पर ट्रेनिंग दी जाती थी।
साइबर ठगी का तीन लेयर मॉडल
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यह साइबर ठग तीन स्तरों में काम करते थे:
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पहली लेयर: एजेंट्स जो लोगों को कॉल कर विश्वास दिलाते और बैंकिंग विवरण इकट्ठा करते।
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दूसरी लेयर: क्लोजर जो पीड़ितों से पैसे निकालने और बिटकॉइन मशीन के पास जाने के निर्देश देते।
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तीसरी लेयर: ओनर जो पैसे बिटकॉइन में कन्वर्ट कर अपने खातों में ट्रांसफर करते।
डिजिटल अरेस्ट नहीं है कानूनी प्रावधान
नीतीश अग्रवाल ने साइबर धोखाधड़ी से सावधान रहने की अपील करते हुए कहा कि डिजिटल अरेस्ट नाम का कोई कानून नहीं है। यदि कोई आपको पुलिस या सीबीआई अधिकारी बनकर डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देता है, तो तुरंत परिवार और दोस्तों को सूचित करें और निकटतम पुलिस स्टेशन या राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं।

Author: Political Play India



