Vice President Election Result : सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति होंगे। NDA उम्मीदवार राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 वोट मिले। वहीं, I.N.D.I.A गठबंधन के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को प्रथम वरीयता के 300 वोट मिले। राधाकृष्णन ने 152 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। कांग्रेस ने I.N.D.I.A गठबधन के 315 सांसदों के मतदान का दावा किया था, जिससे I.N.D.I.A गठबंधन के प्रत्याशी को 15 वोट कम मिले।
यह दल नहीं हुए चुनाव में शामिल
BRS और BJD ने चुनाव में भाग नहीं लिया, जबकि राज्यसभा में बीआरएस के 4 और BJD के 7 सांसद हैं। लोकसभा में इकलौते सांसद वाले शिरोमणि अकाली दल ने भी पंजाब में बाढ़ के चलते वोट डालने से इनकार कर दिया।
विपक्ष ने दी अच्छी चुनौती
उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गठबंध I.N.D.I.A ने भी अच्छी चुनौती दी। हालांकि उनकी संख्या NDA गठबंधन के मुकाबले कम रही। इस चुनाव में जीत के लिए 392 वोटों की जरूरत थी, जिसे NDA उम्मीदवार ने आसानी से हासिल कर लिया। आज यानि 9 सितंबर को हुए चुनाव में 767 सांसदों ने वोट डाले। इसमें से 15 वोट अमान्य रहे। इस चुनाव में कुल 782 सांसदों को मतदान देने का अधिकार था।
विपक्षी दलों से मिले 14 वोट एनडीए के लिए बड़ी कामयाबी है, क्योंकि 15 वोट अमान्य हो गए और 14 वोट विपक्षी दलों से एनडीए को मिलने से विपक्ष को घाटा हो गया।
एनडीए के पास अपने सांसदों के आंकड़े के साथ-साथ कुछ क्रॉस वोटिंग का लाभ भी मिला। एनडीए की कुल संख्या 427 थी, इसमें वायएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों के जोड़ से 438 हो गए। इसके अलावा, 14 अतिरिक्त वोट क्रॉस वोटिंग के जरिए सीपी राधाकृष्णन के खाते में गए।
स्वयंसेवक से उपराष्ट्रपति तक का सफर
बता दें कि 31 जुलाई 2024 को जब सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली, तो यह उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक यात्रा का नया अध्याय था। इससे पहले वे झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं और साथ ही उन्होंने कुछ समय के लिए तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला। चार दशक से ज्यादा लंबे राजनीतिक करियर में राधाकृष्णन ने संगठन, संसद और प्रशासन हर स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है।
राजनीतिक शुरूआत ?
सीपी राधाकृष्णन का जन्म 1957 में तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सार्वजनिक जीवन में सक्रियता दिखाई। वे आरएसएस के स्वयंसेवक रहे और 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति में शामिल हुए। यह उनके राजनीतिक करियर की ठोस शुरुआत थी। 1996 में उन्हें तमिलनाडु भाजपा का सचिव बनाया गया। इसके बाद 1998 में वे पहली बार कोयंबटूर से सांसद बने और 1999 में दोबारा चुने गए।
इसलिए हुआ चुनाव
बता दें कि जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को खराब सेहत का हवाला देकर उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। इसके पश्चात उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा हुई थी।

Author: Political Play India



