नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के करीब 41 दिन बाद जगदीप धनखड़ ने आज सरकारी बंगला खाली कर दिया। सरकारी बंगला खाली कर जगदीप धनखड़ अब हरियाणा के राजनीतिक दल इनेलो के प्रमुख अभय सिंह चौटाला के फार्म हाउस में रहेंगे। इसी के चलते वह आज शाम को वहां शिफ्ट भी हो गए। चौटाला का यह फार्म हाउस दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर एनक्लेव इलाके में है।
टाइप-8 बंगला मिलने तक फॉर्महाउस में रहेंगे
जगदीप धनखड़ टाइप-8 का सरकारी बंगला मिलने तक इनेलो प्रमुख अभय चौटाला के फार्महाउस में ही रहेंगे। पूर्व उपराष्ट्रपति होने के नाते वह टाइप-8 सरकारी बंगले के हकदार है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो धनखड़ अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं, टेबल टेनिस खेल रहे हैं और योग का अभ्यास कर रहे हैं। बता दें कि नए उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होना है। इसमें एनडीए के महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी है।
चौटाला ने पारिवारिक संबंधों का हवाला दिया
अभय चौटाला ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि धनखड़ उनके फार्म हाउस में शिफ्ट हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे पुराने पारिवारिक रिश्ते हैं और उन्होंने मुझसे घर की मांग नहीं की, मैंने उनसे इसकी पेशकश की।’ हमारी इस पेशकश को उन्होंने स्वीकार किया है।
विधायक की पेंशन के लिए दिया आवेदन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार धनखड़ ने हाल ही में राजस्थान के पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन के लिए आवेदन डाला है। धनखड़ 1993 से 1998 तक किशनगढ़ विधानसभा का कांग्रेस एमएलए के तौर पर प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्हें 2019 तक पूर्व विधायक के रूप में पेंशन भी मिलता था। पश्चिम बंगाल के गवर्नर के तौर पर नियुक्ति होने पर उनकी यह पेंशन रोक दी गई थी। विधानसभा सचिवालय के अनुसार पेंशन की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है और यह तब से लागू होगी, जिस दिन से उनका उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा स्वीकार किया गया है।
महाभियोग का सामना करने वाले पहले उपराष्ट्रपति
देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था। विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा है। विपक्ष का दावा था कि वह सिर्फ विपक्ष की आवाज व उनके सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों को दबाते हैं।

Author: Political Play India



