PM Modi China Visit : चीन के साथ गलवान घाटी संघर्ष के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार चीन का रुख कर रहे हैं। मोदी 31 अगस्त को चीन पहुंचेंगे और वहां वे तियानजिन में एससीओ समिट में हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी की चीन यात्रा काफी अहम इसलिए मानी जा रही है क्योंकि यह दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिश टैरिफ लगा रखा है। इस टैरिफ को समाप्त करने की शर्त यह है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है। भारत ने अमेरिका के सामने समर्पण करने से बेहतर यह सोचा है कि वे चीन के साथ अपने ठंडे हो चुके संबंधों में गरमाहट लाएंगे, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान में एक इंटरव्यू के दौरान यह कहा है कि वे चीन के साथ अपने रिश्तों की नई परिभाषा के लिए तैयार हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बहुप्रतीक्षित चीन दौरे से पहले भारत और चीन के संबंधों पर बड़ी बात कही है। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान दौरे के दौरान वहां के एक अखबार को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत आपसी सम्मान और आपसी हितों के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने और चुनौतियों को हल करने के लिए बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। पीएम मोदी ने यह भी कहा है कि वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत और चीन के बीच स्थिर संबंध बेहद जरूरी हैं। प्रधानमंत्री ने चीन की यात्रा और चीन के साथ संबंधों पर पूछे गए एक लिखित सवाल के जवाब में कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर मैं शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यहां से तियानजिन जाऊंगा। पिछले साल कजान में राष्ट्रपति शी के साथ मेरी मुलाकात के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में स्थिर और सकारात्मक प्रगति हुई है।
पीएम ने कहा कि विश्व के दो सबसे बड़े देशों के बीच इस साझेदारी से पूरे क्षेत्र की समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिर और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में वर्तमान अस्थिरता को देखते हुए, दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। भारत आपसी सम्मान, हित और संवेदनशीलता के आधार पर रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से, द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने और चुनौतियों का समाधान करने के लिए बातचीत को बढ़ाने के लिए तैयार है।
विश्व के लिए बड़ा संकेत
प्रधानमंत्री मोदी लगभग 7 वर्ष बाद चीन की यात्रा पर जाएंगे। वे यहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक करेंगे और तीनों देशों के संबंधों की नए सिरे से शुरुआत होगी। एससीओ समिट में चीन, भारत और रूस का निकट आना, पूरे विश्व का ध्यान खिंचता है, क्योंकि इस समीकरण के बन जाने से पूरे विश्व में सत्ता समीकरण एक तरह से हिल जाएगा और उसकी नई परिभाषा गढ़नी होगी। तीनों देशों के एक साथ आने की घटना तब हो रही है, जब भारत और वाशिंगटन के बीच संबंध खराब हो गए हैं।
बौखलाया अमेरिका
चीन और रूस के साथ भारत के संबंधों को देखकर अमेरिका बौखला रहा है। ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने तो यहां तक कह दिया है कि भारत तानाशाहों की गोद में जाकर बैठ रहा है, जो एक लोकतांत्रिक देश के लिए कतई अच्छा नहीं है। गार्डियन डॉट कॉम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत का अमेरिका पर से विश्वास टूट चुका है, यही वजह है कि वह चीन के साथ अपने रिश्तों की शुरुआत कर रहा है, जो अमेरिका के लिए चिंता की बात होनी चाहिए।

Author: Political Play India



