चंडीगढ़ : हरियाणा के पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ यमुना बनाने के संकल्प को पूरा करना हमारा दायित्व है और इस कड़ी में हरियाणा सरकार गंभीर है। यमुना नदी में 11 जगह चिन्हित की गई है जहां से प्रदूषित जल नाले व ड्रेन के माध्यम से यमुना में जा रहा है, ऐसे स्थानों पर एसटीपी लगाकर पानी को साफ किया जाएगा। मंत्री राव नरबीर आज हरियाणा विधानसभा में चल रहे मानसून सत्र में प्रशनकाल के दौरान एक सदस्य द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में सदन में बोल रहे थे।
उन्होंने सदन को जानकारी दी कि वर्ष 2014 से पहले एसटीपी की संख्या 25 तथा सीटीपी के 7 थी, वर्तमान सरकार ने पिछले 10 वर्षों में 65 नए एसटीपी तथा 10 नए सीटीपी स्थापित किए हैं। इसके अलावा, 8 नए एसटीपी व 8 नए सीटीपी स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण ठीक रहे यह हमारा प्रयास रहेगा। उन्होंने सदन को यह भी जानकारी दी गुरुग्राम कनाल से पहले भी मेवात में प्रदूषित पानी जाता रहा है। सरकार समाधान करने का भरसक प्रयास कर रही है और गुड़गांव कनाल में साफ पानी जाए।
मेवात में बूचड़खाने के लिए लाइसेंस देने के संबंध में पूछे गए अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि बूचड़खाने के लिए एनओसी जारी करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के नियमों का पालन किया जाता है। एनओसी जारी करने के लिए गांव का सरपंच, एसडीएम, बीडीपीओ, वेटनरी सर्जन की टीम होती है, जो इन नियमों के तहत एनओसी जारी करती है। यह व्यवसाय एक उद्योग का रूप ले चुका है और उद्योग के लिए एनओसी जारी करना सरकार का कार्य है। उन्होंने बताया कि बूचड़खानों को लाइसेंस देने के लिए जनवरी, 2025 को नियम अधिसूचित किए गए थे, जो पहले अधिसूचित नहीं थे। अब तीन श्रेणियां— रेड, ऑरेज व ग्रीन जोन बनाए गए हैं। रेड श्रेणी में बूचड़खाने की दूरी गांव, मंदिर, नदी इत्यादि से 500 मीटर दूर, ऑरेज में बूचड़खाने की दूरी 200 मीटर तथा ग्रीन में बूचड़खाने की दूरी 100 मीटर है। उन्होंने कहा कि समय—समय पर टीम मॉनटरिंग करती है 2014 के बाद मेवात में 28 बूचड़खानों के लिए एनओसी जारी की गई है और 7 पर प्रक्रिया चल रही है।
Author: Political Play India





