चंडीगढ़ : भ्रष्ट पटवारियों की सूची जारी करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में हरियाणा सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक गठित कमेटी की सील बंद रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई। कोर्ट को बताया गया कि रिपोर्ट में तीन अधीक्षक समेत तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। सरकार की तरफ से बताया गया कि यह सूची इन अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है।
इस पर याची की वकील ने सरकार के इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि विभाग के मंत्री ने मीडिया में बयान देकर कहा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस तरह की और भी सूची जारी होगी इसलिए यह कहना गलत है कि यह सूची अधिकारियों की गलती से जारी हुई। वकील ने कहा कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए यह सूची जारी की गई। इस तरह के एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले का उल्लेख करते हुए याची की वकील ने कोर्ट से इस सूची पर रोक की मांग की।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने याची को कहा कि वो अगली सुनवाई पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले की कापी कोर्ट में पेश करे। कोर्ट ने सरकार को भी आदेश दिया कि वह दोषी अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय कर कोर्ट में हलफनामा पेश करे।
राज्य सरकार ने यह स्वीकार किया कि यह विभाग का सबसे गोपनीय दस्तावेज था। इस मामले में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी ताकि उन 370 पटवारियों और 170 निजी व्यक्तियों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा की जा सके, जिनका नाम भ्रष्ट पटवारी के रूप में एक सूची में प्रकाशित किया गया था।
विभाग ने बावजूद इसके कि सूची एक गोपनीय दस्तावेज था, इसके अवैध खुलासे को रोकने में विफलता दिखाई। याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया कि वह इस सूची को तुरंत सार्वजनिक डोमेन से वापस लिया जाए और आगे इसकी कोई भी जानकारी प्रकाशित या प्रसारित न हो।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की कि इस लीक के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें जवाबदेह ठहराने के लिए एक स्वतंत्र जांच की जाए।

Author: Political Play India



