चंडीगढ़ : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर के विश्वसनीय अधिकारियों में शामिल हरियाणा पुलिस के डीजीपी और 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर फिलहाल पुलिस महानिदेशक बने रहेंगे। 15 अगस्त को डीजीपी के पद पर दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद हरियाणा सरकार ने अपने अगले आदेश तक डीजीपी के पद पर कपूर के नाम को अपनी हरी झंडी दे दी है। अब कपूर 31 अक्टूबर 2026 यानि अपनी रिटायरमेंट तक हरियाणा में डीजीपी के पद पर रहेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भेजा था पत्र
15 अगस्त को शत्रुजीत कपूर के डीजीपी के पद पर कार्य करते हुए दो साल होने के कारण दो महीने पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से हरियाणा सरकार को पत्र भेजकर डीजीपी पद के लिए आईपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल मांगा था, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब नए पैनल को भेजने की जगह, मौजूदा डीजीपी की अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। सरकार की इस पहल से कई अधिकारियों को झटका लगा है, जो डीजीपी बनने की रेस में शामिल थे।
UPSC को भेजना होता है पैनल
सरकार में नए डीजीपी के लिए पैनल तैयार करती है। डीजीपी के कार्यकाल के खत्म होने से 2 महीने पहले संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को नया पैनल भेजना अनिवार्य होता है। सरकार ने नए नामों को तलाशने की जगह, शत्रुजीत कपूर पर ही भरोसा जताया है। अब इन्हीं के कंधे पर भविष्य की अहम जिम्मेदारी बरकरार रहेगी। नए पैनल में 30 साल के अनुभव वाले 11 IPS अधिकारियों का नाम आमतौर पर भेजा जाता है। अब डीजी रैंक के 8 शीर्ष अधिकारियों में 5 अधिकारी इस रेस से बाहर हो गए, क्योंकि उन्हें इसी साल रिटायर होना है।
सीनियर की बजाए कपूर को बनाया DGP
आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर मौजूदा केंद्रीय और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के करीबी और विश्वसनीय अधिकारियों में शामिल है। पूर्व सीएम मनोहर लाल ने अपने कार्यकाल के दौरान 15 अगस्त, 2023 को उन्हें प्रदेश का पुलिस महानिदेशक बनाया था। कपूर उस समय 1989 बैच के आईपीएस मोहम्मद अकील और डा. आरसी मिश्रा की सीनियरटी को पार करके डीजीपी बने थे। डीजीपी बनाने से पहले पूर्व सीएम मनोहर लाल ने कपूर को बिजली निगमों का चेयरमैन भी लगाया गया था, जहां उन्होंने बिजली के क्षेत्र में अच्छे काम किए। इसके अलावा कपूर प्रदेश के सीआईडी प्रमुख रहने के साथ ही परिवहन विभाग में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
सैनी से भी अच्छा सामंजस्य
ईमानदार और सख्त छवि होने के साथ साथ वह पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के विश्वसनीय अफसरों की लिस्ट में शामिल हैं। साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सैनी से भी कपूर का अच्छा सामंजस्य है। कपूर के कार्यकाल में हरियाणा की पुलिसिंग बेहतर हुई है, पुलिस कर्मियों की ट्रेनिंग स्किल्स भी बढ़ी है। ऐसे में सरकार के लिए कपूर को ही डीजीपी बनाए रखना बेहतर विकल्प रहा।
IAS-HCS को भी नहीं छोड़ा
भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने वाले शत्रुजीत कपूर कई मामलों में कड़ी कार्रवाई कर चुके हैं। वे कई IAS अफसरों पर भी हाथ डाल चुके हैं। वहीं एचसीएस ऑफिसर के खिलाफ एक्शन लेने में नहीं हिचके हैं। यही वजह रही कि पूर्व सीएम खट्टर के साथ ही सीएम नायब सैनी ने उन्हें डीजीपी बने रहने पर सहमति जताई है।
इन 4 अफसरों को लगा झटका
शत्रुजीत कपूर के डीजीपी पद पर बने रहने से कई आईपीएस अफसरों को झटका लगा है। सबसे ज्यादा असर डीजी रैंक के चार आईपीएस को हुआ है। ये 4 आईपीएस अफसर अगले 6 महीने में ही रिटायर हो जाएंगे। इनमें 1988 बैच के मनोज यादव इसी महीने 31 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं। वह मौजूदा समय में केंद्र सरकार में सेवाएं दे रहे हैं। 1989 बैच के डीजी जेल मोहम्मद अकील 31 दिसंबर को, 1991 बैच के डीजी होमगार्ड आलोक कुमार राय 30 सितंबर को तथा 1992 बैच के पुलिस आवास निगम के एमडी ओपी सिंह 31 दिसंबर को रिटायर होंगे। अब नए डीजीपी के लिए अगले वर्ष ही पैनल भेजा जा सकता है, जिसमें एसीबी चीफ आलोक मित्तल के नए पुलिस महानिदेशक बनने की प्रबल संभावना रहेगी।
ऐसे होता है डीजीपी का चयन
हरियाणा में डीजीपी की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार होती है। राज्य सरकार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की सूची UPSC को भेजती है। UPSC इस सूची से तीन अधिकारियों का पैनल तैयार करता है, जिसमें वरिष्ठता, अनुभव और सेवा रिकॉर्ड का मूल्यांकन होता है। इसके बाद राज्य सरकार, मुख्य रूप से मुख्यमंत्री की सहमति से, पैनल में से एक अधिकारी को डीजीपी नियुक्त करती है। नियुक्ति कम से कम दो वर्ष के लिए होती है। असाधारण परिस्थितियों में डीजीपी को हटाया भी जा सकता है।
मनोहर से नजदीकियां आई काम !
पुलिस विभाग के अलावा सूबे के वरिष्ठ अधिकारियों में भी इस बात को लेकर चर्चा है कि केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल की गुड बुक में शामिल होने का फायदा शत्रुजीत कपूर को मिला है। मनोहर लाल ने नियमों के विपरीत जाकर पहली बार आईएएस की बजाए एक आईपीएस अधिकारी के रूप में शत्रुजीत कपूर को बिजली निगमों का चेयरमैन लगाया था। कपूर ने भी उनकी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए बिजली निगम में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री बनने के बाद मनोहर लाल ने बिजली पर आधारित कपूर की एक पुस्तक का भी विमोचन किया था, जिसमें उन्होंने बिजली व्यवस्था में सुधार को लेकर काफी जानकारी दी थी। ऐसे में अधिकारियों में सुगबुगाहट है कि कहीं ना कहीं मनोहर लाल से करीबी और उनके विश्वास का फायदा कपूर को अपनी रिटायरमेंट तक डीजीपी के पद पर बने रहने के रूप में मिला है।

Author: Political Play India



