हरियाणा में डॉक्टरों को विदेश यात्रा के लिए आसानी से नहीं मिलेगी NOC, सरकार ने जारी किए निर्देश

लिंगानुपात के अंतर को लेकर स्वास्थ्य विभाग अब गंभीर हो गया

चंडीगढ़ : हरियाणा में लिंगानुपात के अंतर को लेकर स्वास्थ्य विभाग अब गंभीर हो गया है। विभाग इसे लेकर कोई भी ढील नहीं देना चाहता। इसी के चलते स्वास्थ्य विभाग ने तय किया है कि यदि किसी इलाके में लिंगानुपात में सुधार नहीं मिलता है तो वहां के चिकित्सकों को विदेश यात्रा के लिए दिया जाने वाला अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं दिया जाएगा। यह फैसला बीते दिनों हुई स्टेट टास्क फोर्स की बैठक में लिया गया है। इस फैसले से चिकित्सकों में रोष भी है।

विभाग ने सभी जिलों के सिविल सर्जन, आयुष विभाग व एमटीपी के मेडिकल अफसरों को निर्देश दिए हैं कि बीएएमएस क्लीनिक व नर्सिंग होम के साथ समन्वय बनाएं और हर सप्ताह दस क्लीनिक व नर्सिंग होम की जांच करें। यदि कोई अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो चिकित्सक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

बैठक में आईवीएफ केंद्रों पर निगरानी बढ़ाने के भी निर्देश जारी किए गए हैं। अब हर आईवीएफ केंद्र को हर महीने पीजीटी (प्रीइंप्लाटेंशन जेनेटिक टेस्टिंग ) की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। दरअसल, आईवीएफ के दौरान भ्रूण में आनुवंशिक रोगों की जांच के लिए पीजीटी टेस्ट करवाते हैं। इस दौरान भ्रूण लिंग की भी जांच की कोशिश होती है। स्वास्थ्य विभाग को आशंका है कि कुछ अनैतिक क्लीनिक इस गतिविधि में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में इन पर शिकंजा कसना जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश दिए कि एक या एक से अधिक स्वस्थ जीवित बालिकाओं वाली महिलाएं आईवीएफ के माध्यम से यदि दूसरा बच्चा चाहती हैं तो उन्हें जिला उपायुक्त व सीएमओ की गठित कमेटी से स्वीकृति लेनी होगी।

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