दिल्ली : बिहार वोटर लिस्ट सत्यापन मामले में चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है, फिलहाल मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण जारी रहेगा। देश में लोकतंत्र की बुनियाद मानी जाने वाली मतदाता सूची के सत्यापन को लेकर आज सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी थीं। बिहार में मतदाता गहन पुनरीक्षण (Intensive Revision) के मसले ने जिस तरह देश में सियासी तूल पकड़ा है, अब वही मामला देश की सबसे बड़ी अदालत की चौखट तक पहुंच गया है। तमाम आरोप-प्रत्यारोप, संशय और सियासी शोर के दरम्यान सुप्रीम कोर्ट इस अहम मुद्दे पर सुनवाई हुई, सुनवाई में पक्ष और विपक्ष की तरफ से कई दलीलें दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 11 दस्तावेजों में आधार, ईसीआईसी और राशन कार्ड को शामिल करने का सुझाव दिया। अब इस मामले में 28 जुलाई को सुनवाई होगी।
कोर्ट ने कहा है कि प्रथम दृष्टया उसकी राय है कि न्याय के हित में, चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र आदि जैसे दस्तावेजों को भी शामिल करने पर विचार करना चाहिए।
यह कहा था चुनाव आयोग ने
24 जून को चुनाव आयोग का यह निर्देश आया था कि बिहार में वोटर लिस्ट का वेरिफिकेशन या रिवीजन होगा। चुनाव आयोग का कहना है कि तेजी से शहरीकरण, लगातार माइग्रेशन, युवा वोटर्स का मतदान के लिए पात्र होना और विदेशी अवैध प्रवासियों के नाम का मतदाता सूची में शामिल होना वोटर लिस्ट के रिवीजन के पीछे अहम वजह है। बिहार में कुल 7.9 करोड़ मतदाता हैं और इसमें से 5 करोड़ मतदाता 1 जनवरी 2003 को जब अंतिम बार वोटर लिस्ट का रिवीजन या वेरिफिकेशन किया गया था, उसमें शामिल थे। ऐसे लोगों को उस वोटर लिस्ट का हवाला देना होगा। बचे हुए 2.9 करोड़ मतदाताओं को चुनाव आयोग ने 11 जो डॉक्यूमेंट मांगे हैं, उसमें से कम से कम एक डॉक्यूमेंट देना जरूरी होगा। तभी वे चुनाव में वोट डाल पाएंगे। 2003 की वोटर लिस्ट को वेरिफिकेशन के लिए आधार माना जाएगा और इस लिस्ट में शामिल लोग और उनके बच्चे मतगणना का फॉर्म भरने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
11 डॉक्यूमेंट्स में से एक देना जरूरी
1 जुलाई 1987 और 2 दिसंबर 2004 के बीच पैदा हुए लोगों को अपने जन्म की तारीख और जगह बताते हुए चुनाव आयोग के द्वारा जारी की गई सूची के 11 डॉक्यूमेंट्स में से एक डॉक्यूमेंट देना होगा। इसके साथ ही माता या पिता में से भी किसी का कोई एक दस्तावेज देना होगा। ऐसे लोग जिनका जन्म 2 दिसंबर, 2004 के बाद हुआ है उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए जन्म की तारीख और जगह का डॉक्यूमेंट देना होगा। इसके अलावा माता-पिता दोनों की नागरिकता को प्रमाणित करने वाले डॉक्यूमेंट भी चुनाव आयोग को देने होंगे।
चुनाव आयोग ने मांगे ये 11 डॉक्यूमेंट
1- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के कर्मचारी या पेंशनभोगी का पहचान पत्र / पेंशन भुगतान आदेश
2- सरकार, स्थानीय निकाय, बैंक, डाकघर, एलआईसी, पीएसयू द्वारा जारी पहचान पत्र/प्रमाणपत्र/दस्तावेज (1 जुलाई, 1987 से पूर्व)
3- सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र।
4- पासपोर्ट।
5- किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय से मैट्रिकुलेशन / शैक्षिक प्रमाणपत्र।
6- सक्षम राज्य प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाण पत्र।
7- वन अधिकार प्रमाण पत्र
8- ओबीसी / एससी / एसटी या कोई भी वैध जाति प्रमाण पत्र।
9- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), जहां यह हो।
10- परिवार रजिस्टर।
11- सरकार की ओर से जारी जमीन या मकान आवंटन प्रमाण पत्र।

Author: Political Play India



